।। कथा सुत्र ।।
।। मानस : किन्नर ।।
१८ डिसेंबर २०१५६
हमारे सारे ग्रंथ संवाद के रुप मे ही है
रामचरित मानस संवाद का सत्र है
पंच देव की वंदना करने से
वो हम पर कृपा कैसे करे
उसका संवाद
रामचरित मानस मे जरुर है
देव की वंदना करने से ऐसवर्य प्राप्त होता है
उन्होंने कहा कुपा चाहिए
गौरव जरुर लेना चाहिए
बडाई ले या नही पर गौरव लेना चाहिए
मुझे अगर पुछा जाऐ
आप महादेव की पुजा करते हो
तो मे ईतना ही कहुंगा
महादेव जैसा कोई देव नही
गुरु के समान कोई परम तत्व नही
लक्ष्मी जी को कुंभ मे
महामंडेलेक्षवर का स्थान दिया
ये बाबा महाकाल की ही कृपा है
मुझे कुछ देना है तो
ईस कथा के बाद
ईस समाज का अपमान न हो
तिरस्कार नही गलत ताली बजाकर
उसका उपहास न हो
ऐसी शपथ लो यह शकुनवंत समाज है
किन्नर शिव की स्तुति के गायक है
कैलाश निवासी है किन्नर
किन्नर को हिज्जर कहते है
किन्नर देवताओ का समाज है
युवान भाई बहेन
अपने बडो को आदर दो
माॅ बाप पिर्तृ को आदर दो
जिसके मनमे संसय रुप शंका हो
भम्र हो कोई विकार रुपी पक्षी है
तो रामकथा रुपी ताली बजाऔ
बाप सब विकार नष्ट हो जाऐगे
रामनाम लेने से पाप निकल जाता है
रामकथा ताली है हरि नाम की
तो हमारा कर्तव्य है
ताली उसके ताल से मिलाए बाप
राम को सुनिए ये सत्य
राम ही गाये ये प्रेम
राम ये ही है
सत्य प्रेम करुणा
पुरा जगत तप आधारित है
ईस कलयुग मे सबसे बडा
तप है सहन शीलता
मेरा कोई आग्रह नही है
की राम ही जपो
कोई भी नाम हो चाहे तो
माॅ का नाम हो
या फिर शिव का नाम हो
कृष्ण का कोई भी नाम हो
नाम तो राम है
रुप तो कृष्ण का
धाम तो शिव का
लीला तो सदगुरु की बाप
राम एक तापस तिय तारी।
नाम कोटि खल कुमति सुधारी।।
लीला माने
परमात्मा जब अवतार लेता है
तो नाम रुपी लीला करता है
आखीर मे हरि नाम शिवाय कोई
चारा नही
कोई भी नाम लो कोई फर्क नही पडता
कोई भी नाम लो
मे तो राम कहुंगा
बंदऊ नाम राम रघुवीर ।।
ऐक ही कथा क्यु बार बार सुनी जाए
तुलसी कहते है बार बार सुनने से
ही जा कर कुछ समझ आती है
कवि परमात्मा का नाम है
सुनते सुनते गाते गाते कवि नही
बनना है
भव बाद होना है
बाप
हनुमानजी की वंदना करे
जो हनुमानजी का आश्रय करता है
उसको भुत का डर नही होता
भुत पिचास निकट नही आवे ।।
भुत मानि भुत काल
प्रेत भविष्य काल
प्रेत मानि भविष्य का विजन
प्रिय : बापु
।। मानस : किन्नर ।।
।। कथा सुत्र ।।